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जम्भेश्वर शब्दवाणी भावार्थ

  • Writer: JR Bishnoi
    JR Bishnoi
  • Dec 4, 2019
  • 1 min read

भावार्थ

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सबद=26

घण तण जिम्या को गूण नाही,मल भरीया भण्डारू।

आगै पिछै माटी झूलै,भूल बहैज भारुं।


बहुत अधिक डटकर भोजन करने से कोई लाभ नहीं है क्योंकि पेट में तो मल्ही भरा हुआ है आगे पेट और पीछे जंगा झूलने लगती है इस भार को लिए हुए हैं भटक वह रहा है


घणा दिनां का बङा न कहिबा,बङा न लघिवा पारु।

उत्तम कूली का उत्तम न होयबा ,कारण किरिया सारूं।।


बिना गुणों के केवल बड़ी आयु वाला व्यक्ति बड़ा नहीं हो सकता है इस प्रकार बिना गुण के केवल श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न होने से कोई पुरुष श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता है


गोरख दिठां सिध न होयबा पोह उतरबा पारू।

कलयूग बरतै चेतो लोई,चेता चेतण हारू


गोरख नाथ के दर्शन मात्र से कोई आदमी सिद्ध नहीं हो जा सकता वह सुपंथ पर चलकर ही संसार सागर से पार हो सकता है घोर कल युग चल रहा हे लोगो चेतो हे चेतने वालो शीघ्र ही चेतो।।


सत गूरू मिलियो सतपंथ बतायो,भिरान्त चूकाई बिदगारातै उदगागारू।


तुम्हें सतगुरु मिला है तथा सत्य पंथ बताया है जिससे तुम्हारी सारे संशय मिट जाएंगे यह मैं वेद तत्व का बखान करता हूं

🙏विसन विसन विसन विसन विसन🙏'


जेआर'बिश्नोई'

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